पश्चिम मिदनापुर में बाढ़ का कहर: बहते पानी में डूबा पति, पत्नी बची






बारिश के कारण पश्चिम मिदनापुर जिले के कई इलाकों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति बन गई है। इसी बीच चंद्रकोणा थाना क्षेत्र में गुरुवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां साइकिल से घर लौट रहे एक दंपति अचानक तेज बहाव में बह गए। इस हादसे में पति की मौत हो गई, जबकि पत्नी को ग्रामीणों की मदद से बचा लिया गया।




घटना का विवरण:

गुरुवार रात तुलसी रुईदास नामक एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ साइकिल से चंद्रकोणा-पलाशचापड़ी मुख्य मार्ग से होकर अपने गांव लौट रहे थे। पिछले कई दिनों की बारिश के चलते सड़क पर तेज़ जल प्रवाह हो रहा था। जब यह दंपति छत्रगंज इलाके के पास पहुंचे, तब अचानक बाढ़ का पानी उनकी साइकिल को बहा ले गया।
ग्रामीणों के अनुसार, दोनों सड़क पर जलभराव की गंभीरता को नहीं समझ पाए और जैसे ही उन्होंने पार करने की कोशिश की, पानी के तेज बहाव में संतुलन बिगड़ गया। महिला को समय रहते स्थानीय लोगों ने खींचकर बाहर निकाल लिया, लेकिन तुलसी रुईदास पानी में बह गए।
बचाव कार्य और प्रशासन की भूमिका:
घटना की सूचना मिलते ही चंद्रकोणा थाना पुलिस और आपदा राहत दल घटनास्थल पर पहुंचे। शुक्रवार सुबह से तलाशी अभियान शुरू किया गया। डूबे व्यक्ति की तलाश के लिए स्थानीय नाविकों और गोताखोरों की मदद ली जा रही है। हालांकि, तेज बहाव और आसपास के इलाकों में पानी भर जाने से खोजबीन में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जब तक पानी का बहाव थोड़ा शांत नहीं होता, तब तक सटीक खोज करना मुश्किल है। फिर भी लगातार प्रयास जारी हैं।
बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र और अन्य घटनाएं:
इस हादसे ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। सिर्फ चंद्रकोणा ही नहीं, बल्कि आसपास के केशपुर, डेबरा, घाटाल और शालबनी क्षेत्रों में भी पानी भरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बाढ़ग्रस्त इलाकों में सांप काटने की घटनाएं बढ़ी हैं। अब तक छह लोगों को सांप काट चुका है जिनमें से दो केशपुर और चार घाटाल क्षेत्र से हैं। सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इसके साथ ही, गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कवायद भी चल रही है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि अब तक 15 से अधिक गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित निकाला गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:
तुलसी रुईदास की पत्नी, जो इस हादसे में किसी तरह बच पाईं, बेहद सदमे में हैं। ग्रामीणों में आक्रोश है कि बारिश के समय सड़क और जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं। ग्रामीण प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा दिया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
निष्कर्ष:
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि प्राकृतिक आपदाएं मानव जीवन को कितनी असुरक्षित बना सकती हैं। ज़रूरत है कि प्रशासन, पुलिस और आम जनता मिलकर समय रहते चेतावनी प्रणाली, राहत उपाय और सुरक्षात्मक ढांचा मजबूत करें ताकि ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
