कोरोना काल या काल है कोरोना …??

701
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

तारकेश कुमार ओझा
ये कोरोना काल है या दुनिया के लिए काल है कोरोना ?? हाल में कानपुर जाने का कार्यक्रम रद किया तो मन में सहज ही यह सवाल उठा । लेखकों के एक सम्मेलन में शामिल होने का अवसर पाकर मैं काफी खुश था ।

सोचा कानपुर से लखनऊ होते हुए गांव जाऊंगा और अपनों से मिल – मिला कर पटना होते हुए शहर लौटूंगा । काफी कोशिश के बाद रिजर्वेशन भी कन्फर्म हो चुका था

लेकिन तभी कोरोना के बढ़ते मामलों ने मेरी चिंता बढ़ा दी । रेलवे टाउन का छोकरा होकर भी कोरोना काल में ट्रेन में सफर के जोखिम से परेशान हो उठा । मेरा मानना है कि स्टील और पुरुलिया एक्सप्रेस जैसी ट्रेन में डेली पैसेंजरी का अनुभव रखने वाला कोई भी इंसान हर परिस्थिति में रेल यात्रा में अपने आप सक्षम हो जाता है । करीब छह महीने तक मैने भी इन ट्रेनों से डेली पैसेंजरी की है। इसके बाद भी संभावित यात्रा को ले मेरी घबराहट कम नहीं हुई । क्योंकि मीडिया रिपोर्ट से पता लगा कि फिर लॉक डाउन की आशंका से प्रवासी मजदूरों में भगदड़ की स्थिति है । रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भारी भीड़ उमड़ने लगी है। इस हालत में मेरी आंखों के सामने करीब दो साल पहले की एक रेल यात्रा का दृश्य घूमने लगा । जिसमें कन्फर्म टिकट होते हुए भी मैने थ्री टायर में महाराष्ट्र के वर्धा से खड़गपुर तक का सफर नारकीय परिस्थितियों में तय किया था । लिहाजा कोरोना को काल मानते हुए मैने अपना रिजर्वेशन रद करा दिया ।

कन्फर्म टिकट रद कराने पर आइआरसीटीसी इतनी रकम काटती है , पहली बार पता चला । सचमुच सोचता हूं …. ये कोरोना काल है या काल है कोरोना …।

Advertisement
Advertisement
Advertisement

For Sending News, Photos & Any Queries Contact Us by Mobile or Whatsapp - 9434243363 //  Email us - raghusahu0gmail.com