‘द एकेन: बनारस ए बिभीषिका’ – एक बंगाली जासूसी फिल्म की जबरदस्त सफलता की कहानी






परिचय:




भारतीय फिल्म उद्योग में बंगाली सिनेमा ने हमेशा एक विशेष स्थान बनाए रखा है, खासकर जब बात हो साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फिल्मों की। ‘द एकेन: बनारस ए बिभीषिका’ (The Eken: Benaras e Bibhishika) एक ऐसी ही फिल्म है, जिसने न केवल दर्शकों को रोमांचित किया बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी शानदार सफलता हासिल की। यह फिल्म प्रसिद्ध बंगाली लेखक सुजन दासगुप्ता के उपन्यास ‘छद्मবেশী समय’ पर आधारित है और यह एकेन बाबू फ्रेंचाइज़ी की तीसरी कड़ी है।

फिल्म की पृष्ठभूमि:
‘एकेन बाबू’ एक काल्पनिक जासूस पात्र है जिसे बंगाली साहित्य प्रेमी बेहद पसंद करते हैं। यह किरदार साधारण दिखने वाला एक असाधारण बुद्धिमान व्यक्ति है जो अपने हास्य और बुद्धिचातुर्य से अपराधों को सुलझाता है। पहले दो फिल्मों—’The Eken’ (2022) और ‘The Eken: Ruddhaswas Rajasthan’ (2023)—की सफलता ने इस तीसरी फिल्म के प्रति दर्शकों की उत्सुकता और भी बढ़ा दी थी।
कहानी की झलक:
‘Benaras e Bibhishika’ की कहानी एक प्राचीन शहर वाराणसी (बनारस) की पृष्ठभूमि में बुनी गई है, जो अपने रहस्य, अध्यात्म और गलियों के लिए प्रसिद्ध है। फिल्म की शुरुआत एक धार्मिक विद्वान की रहस्यमयी मौत से होती है, जिसे आत्महत्या करार दिया जाता है। लेकिन एकेन बाबू को कुछ तो गड़बड़ लगती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, बनारस के पवित्र घाटों से लेकर संकरी गलियों तक एक रहस्यमय साजिश का पर्दाफाश होता है, जिसमें धार्मिक ग्रंथों की चोरी, पुरातत्व विभाग की लापरवाही और निजी स्वार्थों का गहरा जाल शामिल है।
कलाकारों का प्रदर्शन:
अनिरुद्ध गुप्ता द्वारा निभाया गया एकेन बाबू का किरदार एक बार फिर दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहा। उनका सहज हास्य और गंभीरता के बीच का संतुलन अद्भुत है।
सहायक भूमिकाओं में सुब्रता दत्ता, सोहिनी सरकार, और राजेश शर्मा जैसे कलाकारों ने दमदार अभिनय प्रस्तुत किया है।
विशेष उल्लेख वाराणसी की स्थानीय प्रतिभाओं का भी है जिन्हें इस फिल्म में स्थान दिया गया है, जिससे कहानी में यथार्थवाद का पुट जुड़ता है।
फिल्म की तकनीकी खूबी:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अत्यंत सराहनीय है। बनारस के घाट, गंगा नदी की लहरें, मंदिरों की घंटियां और प्राचीन गलियों को जिस खूबसूरती से कैमरे में कैद किया गया है, वह दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।
बैकग्राउंड म्यूजिक रहस्य और तनाव को बखूबी उभारता है।
संवाद लेखन में चतुराई और बंगाली हास्य की मिठास दोनों झलकती हैं।
बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार प्रदर्शन:
रिलीज़ के एक सप्ताह के भीतर ही फिल्म ने 80 हाउसफुल शो का रिकॉर्ड बना लिया, जो किसी बंगाली मिड-बजट फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि है। फिल्म ने कोलकाता, सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, और बर्धमान जैसे शहरों में शानदार प्रदर्शन किया।
OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ से पहले ही इस फिल्म को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शन हेतु चुना गया है।
सांस्कृतिक महत्व:
यह फिल्म केवल एक मनोरंजक थ्रिलर नहीं है, बल्कि यह बंगाली संस्कृति, बुद्धिजीवी जासूसी शैली और भारतीय शहरों के ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाती है। एकेन बाबू जैसे पात्र बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में लोकप्रिय हैं क्योंकि वे एक नए प्रकार के हीरो को प्रस्तुत करते हैं—कोई मसल्स वाला सुपरमैन नहीं, बल्कि दिमागदार और मजाकिया इंसान
फिल्म की USP (विशेषताएं):
1. बिना हिंसा और गालियों के बनी जासूसी फिल्म—परिवार के साथ देखने योग्य।
2. शुद्ध बंगाली भावनाओं से ओतप्रोत, फिर भी सार्वभौमिक।
3. एक रोमांचक रहस्य, जो दर्शकों को आखिर तक बांधे रखता है।
4. बनारस जैसे शहर का उपयोग केवल पृष्ठभूमि नहीं, बल्कि एक पात्र की तरह हुआ है।
फ्रेंचाइज़ी का भविष्य:
‘Benaras e Bibhishika’ की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बंगाली सिनेमा में जासूसी शैली का उज्जवल भविष्य है। फिल्म के निर्देशक और निर्माता ने संकेत दिए हैं कि ‘एकेन बाबू’ की अगली फिल्म संभवतः असम या नेपाल की पृष्ठभूमि में आधारित होगी।
दर्शकों की प्रतिक्रिया:
सोशल मीडिया पर #TheEken ट्रेंड कर रहा है।
IMDB पर फिल्म को 8.6/10 की रेटिंग मिली है।
दर्शकों ने कहा है, “एक समय था जब हम केवल फेलूदा और ब्योमकेश को जानते थे, अब एकेन बाबू ने भी दिल जीत लिया है।”
निष्कर्ष:
‘The Eken: Benaras e Bibhishika’ एक प्रमाण है कि सादगी, अच्छे लेखन और मजबूत निर्देशन के साथ एक क्षेत्रीय फिल्म भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींच सकती
है। यह फिल्म न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि एक सकारात्मक संदेश भी देती है—”बुद्धि ही असली ताकत है।”
