आईआईटी मद्रास ने लीक से हटकर सोच पर आधारित ‘‘आउट आफ द बाक्स थिंकिग’’ पर कोर्स के माध्यम से 10 लाख स्कूली एवं कालेज के छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य रखा।
आनलाइन माध्यम से पेश किये जाने वाला यह कोर्स नि:शुल्क होगा । यह कोर्स समस्या समधान को लेकर शिक्षण के बहुआयामी पहल पर ध्यान केंद्रित करेगा और यह भारत एवं दूसरे देशों में रहने वालों के लिये उपलब्ध होगा ।
चेन्नई, 6 जून 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास गणित के माध्यम से लीक से हटकर सोच आधारित ‘‘आउट आफ द बाक्स थिंकिग पर कोर्स शुरू करेगी
तोकि नवोन्मेषी सोच को बढ़ावा दिया जा सके । अपनी तरह के इस प्रथम पहल के तहत संस्थान का इस कोर्स के माध्यम से स्कूल व कालेजों के करीब 10 लाख छात्रों को जोड़ने का लक्ष्य है । इसके अलावा इसके तहत पेशेवरों एवं शोधकर्ताओं को भी जोड़ा जायेगा ।
ये कोर्स आईआईटी मद्रास के आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलाजीज फाउंडेशन धारा 8 कंपनी के माध्यम से पेश की जायेगी । इसमें परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को मामूली फीस लेकर ग्रेड प्रमाणपत्र दिया जायेगा । अंतिम परीक्षा भारत के चुनिंदा शहरों में स्थित केंद्रों पर निगरानी में आयोजित किये जायेंगे ।
कोर्स आनलाइन प्रारूप में उपलब्ध होगा, नि:शुल्क होगा और भारत एवं दूसरे देशों में रहने वाले सभी के लिये उपलब्ध होगा । चार ग्रेड वाला स्वतंत्र स्तर का यह कोर्स छात्रों, पेशेवरों, शोधार्थियों के लिये आसनी से उपलब्ध होगा ।
इस कोर्स के लिये पहला बैच 1 जुलाई 2022 से शुरू होने का कार्यक्रम निर्धारित है और इसके लिये पंजीकरण 24 जून 2022 तक हो सकेगा । जो लोग भी इस कोर्स में रूचि रखते हैं, वे निम्नलिखित लिंक पर जाकर पंजीकरण करा सकते हैं
ऐसे कोर्स की जरूरत का उल्लेख करते हुए आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी कामकोटि ने कहा, ‘‘ यह कोर्स भारत में अपने तरह का पहला कोर्स है और आने वाले दिनों में भारत में इसका काफी प्रभाव होगा । अगले कुछ वर्षो में हम इसका प्रभाव अनुभव कर सकेंगे । यह कोर्स नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है । इस कोर्स का स्कूल और कालेज के छात्रों, खासकर ग्रामीण भारत में रहने वालों को काफी फायदा होगा ।’’
प्रो. कामकोटि ने कहा कि लीक से हटकर सोच या आउट आफ द बाक्स थिंकिंग तर्क शक्ति का उपयोग करके अप्रत्यक्ष एवं रचनात्मक माध्यम से समस्याओं का समाधान करता है जो तत्काल जाहिर नहीं होते हैं,इसमें विचार की आवश्यक्ता होती है और केवल पारंपरिक तरीके से हासिल नहीं किये जा सकते । इस अनोखे कोर्स में तार्किक रूप से गणित के ज्ञात एवं अज्ञात तथ्यों को पुन: तलाशने वाली सोच पर जोर दिया जा रहा है जिससे रूचि विकसित हो सके ।
यह कोर्स समस्या समाधान के लिये बहुआयामी पहल को प्रस्तुत करता है, साथ ही उस मिथक को तोड़ता है कि समस्या समाधान कुछ चुने लोगों के दायरे की बात है।
यह आसन तरीके से समझी जाने वाली नयी तकनीक पेश करती है तथा उपयोगकर्ताओं को विश्वास एवं सरलता के साथ वास्तविक जीवन की समस्याओं का सामना करने में सक्षम बनाता है।
गणित की पढ़ाई में तर्क अंतर्निहित होने को देखते हुए प्रौद्योगिकी की दुनिया से जुड़े विस्तारित अनुप्रयोगों के जरिये विस्तृत सोच विकसित करना जरूरी है। आमोद प्रमोद के लिये सुडकू पहेली से लेकर निर्धारित परियोजना को पूरा करने को लेकर कामकाज में तर्क का महत्व इससे जुड़े अंकगणित से अधिक है। इसके लिए रचनात्मक सोच और विस्तृत अनुभूति की अधिक जरूरत होती है जिसे आमतौर पर ‘आउट आफ द बाक्स थिंकिंग’ के रूप में जाना जाता है।
यह कोर्स गणित शिक्षक एवं आर्यभट्ट इंस्टीट्यूट आफ मैथेमेटिकल साइंस के संस्थापक निदेशक सदगोपन राजेश पढ़ायेंगे । वे पिछले 30 वर्षो से स्कूल एवं कालेजों के विभिन्न स्तर के
छात्रों को गणित पढ़ा रहे हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के रचनात्मक कोर्स के जरिये प्रोत्साहित करते हैं । वे प्राथमिक से लेकर हाई स्कूल के छात्रों को कार्यक्रमों के जरिये तालीम देते हैं, समस्या समाधान को लेकर स्नेह का भाव पैदा करते हैं और इस प्रकार से गणितीय एवं अन्य ओलंपियाड के लिये तैयार करते हैं ।
इस पहल के बारे में सदगोपन राजेश ने कहा कि अगर हम गणित को अनुशासन एवं जोश के रास्तों को अपनाकर आगे बढ़ते हैं और यह जरूरी नहीं कि यह औपचारिक रास्ता हो लेकिन यह अनुभव करें कि यह विषय अधिक तार्किक एवं विश्लेषणात्मक है तब हम हमारी सोच को व्यापक बना सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि इसका महत्वपूर्ण आउटपुट कौशल विकास है जो तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी आधारित दुनिया के उपयुक्त हो और प्रभावी ढंग से योगदान देती हो।
सदगोपन राजेश क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक गणितीय ओलंपियाड से जुड़े कैम्पों में रिसोर्स पर्सन हैं । इसके अलावा वे शिक्षक मार्गदर्शन एवं संवर्द्धन कार्यक्रम भी संचालित करते हैं ।
IIT Madras Targets One Million School & College Students through Course on ‘Out of the Box Thinking’
To be offered in Online Mode free of cost, the course will focus teaching about multiple approaches to problem-solving and is open to everyone residing in India as well as in foreign countries
CHENNAI, 6th June 2022: Indian Institute of Technology Madras will launch a course on ‘Out of the Box Thinking’ through Mathematics to encourage innovative thinking. The Institute is targeting as many as One Million School and College students, besides working professionals and researchers as well through this course, which is a first-of-its-kind initiative in the country.
These courses will be offered in Online Mode free of cost through IIT Madras Pravartak Technologies Foundation, sec 8 company of IIT Madras, which will also issue the Grade Certification for students who take the examinations at a nominal fee. The final examination will be a proctored one conducted at centres in select cities across India.
The Course is being made available in online mode, free of cost, to everyone in India as well as in foreign countries. The four graded independent levels of the courses will be easily accessible to students, professionals and researchers.
The First batch of the course is scheduled to commence on 1st July 2022. Registrations will close on 24th June 2022. Those interested can register through the following link – https://www.pravartak.org.in/out-of-box-thinking.html
Explaining the need for such courses, Prof. V. Kamakoti, Director, IIT Madras, said, “This course is first-of-its-kind in India and will make a major impact in the days to come. We will see the benefits of this course in next few years. The course is being offered free of cost. It course will greatly benefit the School and College students, especially those residing in rural India.”
Further, Prof. Kamakoti said, “‘Out of the box’ thinking is solving problems through an indirect and creative approach, using reasoning that is not immediately obvious and involving ideas that may not be obtainable by using only traditional step-by-step logic. In this unique course, such thinking is emphasized through rediscovering the known and unknown facts of mathematics logically with an interesting broader perception of sthe manner of doing it.”
The course will present multiple approaches to problem solving, debunking a myth that problem solving is only for a select few. It will introduce new techniques in an easy-to-understand fashion, preparing users to face real-life projects with confidence and ease.
With logic being the undercurrent in the study of mathematics, it is essential to develop broader thinking, through its applications in the expanding world of technology. From solving a fun Sudoku puzzle to completing an important scheduled project, the logic of working is much more important than the arithmetic involved in it. This requires creative thinking and a broader perception that is often known as ‘out of the box’ thinking.
The Courses will be taught by Mr. Sadagopan Rajesh, Mathematics Educator and founder-director of Aryabhatta Institute of Mathematical Sciences. He has been teaching Mathematics for the past 30 years among a various range of students, both school and college, from age 10 years, motivating them with a variety of creative and designed courses. He has also been conducting nurture programs from primary to high school students, inculcating in them a love for problem-solving, thus leading to Mathematical and other Olympiads.
Speaking about this initiative, Mr. Sadagopan Rajesh said, “If we approach mathematics with discipline and passion not necessarily in a formal way but realize the subject with more logical and analytical reasoning, we can broaden our thinking. The important output is the development of skills which are essential to fit and effectively contribute in a rapidly changing technological world.”
Mr. Sadagopan Rajesh has been a resource person for several Mathematical Olympiad exposure camps at regional, national, and international levels, apart from conducting several teacher orientations and enrichment programs.
আইআইটি মাদ্রাজ ‘আউট অফ দ্য বক্স থিঙ্কিং’ বিষয়ক কোর্সের মাধ্যমে দশ লক্ষ স্কুল ও কলেজ ছাত্রদের কাছে পৌঁছতে চায়।
কোর্সটি বিনামূল্যে অনলাইন মাধ্যমে প্রদান করা হবে, এটি সমস্যার সমাধান করবার একাধিক উপায়গুলির প্রশিক্ষণের ওপর জোর দেবে এবং এটি ভারত ও অন্যান্য দেশে থাকা সকলের জন্য উপলব্ধ হবে।
চেন্নাই, ৬ জুন ২০২২: ইন্ডিয়ান ইনস্টিটিউট অফ টেকনোলজি মাদ্রাজ উদ্ভাবনী চিন্তাকে প্রোৎসাহন দিতে গণিতের মাধ্যমে ‘আউট অফ দ্য বক্স থিঙ্কিং’ বিষয়ক একটি কোর্স আরম্ভ করতে চলেছে। কোর্সটির মাধ্যমে, যা দেশে এই ধরনের একটি প্রথম প্রচেষ্টা, ইনস্টিটিউটটি দশ লক্ষ স্কুল ও কলেজ ছাত্রদের, এবং এছাড়াও কর্মরত পেশাদার এবং গবেষকদের কাছেও কাছে পৌঁছানোর লক্ষ্য রেখেছে।
আইআইটি মাদ্রাজ প্রবর্তক টেকনোলজিস ফাউন্ডেশন, সেক ৮ কোম্পানি অফ আইআইটি মাদ্রাজ-এর মাধ্যমে এই কোর্সগুলি বিনামূল্যে অনলাইন পদ্ধতিতে প্রদান করা হবে, যেটি স্বল্প একটি ফী’র বিনিময়ে যে ছাত্ররা পরীক্ষাগুলি দেবেন তাদের জন্য গ্রেড সার্টিফিকেশন জারি করবে। ফাইনাল পরীক্ষা ভারতের বিভিন্ন নির্বাচিত শহরে অবস্থিত সেন্টারগুলিতে অনুষ্ঠিত হবে, এবং এটি নিরীক্ষণ করা হবে।
কোর্সটি অনলাইন পদ্ধতিতে, বিনামূল্যে, ভারতে এবং অন্যান্য দেশগুলিতে সকলের জন্য উপলব্ধ করা হচ্ছে। কোর্সটির ফোর গ্রেডেড স্বাধীন স্তর ছাত্র, পেশাদার ও গবেষকদের জন্য সহজেই উপলব্ধ হবে।
কোর্সটির প্রথম ব্যাচ ১ জুলাই ২০২২ থেকে আরম্ভ হবে। ২৪ জুন ২০২২-তে রেজিস্ট্রেশন বন্ধ হবে। যারা ইচ্ছুক তারা এই লিঙ্কের মাধ্যমে রেজিস্টার করতে পারেন – https://www.pravartak.org.in/out-of-box-thinking.html
এই ধরনের কোর্সের প্রয়োজনের ব্যাখ্যা করতে গিয়ে আইআইটি মাদ্রাজের ডিরেক্টর প্রফেসর ভি. কামাকোটি বলেন, “এই কোর্সটি ভারতে প্রথম এই ধরনের কোর্স এবং এটি আগামী দিনে একটি বড়সড় প্রভাব ফেলবে। আমরা আগামী কিছু বছরে এই কোর্সটির লাভ দেখতে পাব। কোর্সটি বিনামূল্যে প্রদান করা হচ্ছে। কোর্সটি স্কুল ও কলেজ ছাত্রদের জন্য খুব লাভজনক হবে, বিশেষত যারা গ্রামীণ ভারতে থাকে”।
প্রফেসর কামাকোটি আরও বলেন, “আউট অফ দ্য বক্স থিঙ্কিং-য়ের মানে হলো একটি পরোক্ষ ও উদ্ভাবনী উপায় সমস্যার সমাধান খোঁজা, সেই যুক্তি ব্যবহার করে যেটি ততক্ষনাৎ দৃশ্যমান নয় এবং এমন উপায় ব্যবহার করা যেগুলি পারম্পরিক ক্রমশ যুক্তি দিয়ে পাওয়া যায় না। এই অনন্য কোর্সটিতে, একটি রোচক ও বৃহত্তর উপলব্ধি যুক্ত পদ্ধতি ব্যবহার করে যুক্তিযুক্ত ভাবে গণিতের জানা ও অজানা তথ্য পুনরায় আবিষ্কার করে এই ধরনের চিন্তা ভাবনায় জোর দেওয়া হয়”।
কোর্সটি সমস্যার সমাধান করতে নানাবিধ উপায় উপলব্ধ করবে, এই ধারণা ভেঙে, যে সমস্যার সমাধানের ক্ষমতা কেবলমাত্র কিছু জনের মধ্যে সীমাবদ্ধ। এটি সহজবোধ্য উপায়ে নতুন পদ্ধতির সঙ্গে পরিচয় করাবে, যা ব্যবহারকারীদের আসল পরিস্থিতির সঙ্গে আত্মবিশ্বাসের সঙ্গে মোকাবিলা করতে তৈরী করবে।
গণিতের অধ্যয়নে যুক্তি পরোক্ষ আধার হওয়ায়, প্রযুক্তির জগতে এর প্রয়োগের মাধ্যমে বিস্তৃত চিন্তা ভাবনা তৈরী করা গুরুত্বপূর্ণ, । একটি মজাদার সদুকু ধাঁধা সমাধান করা থেকে একটি গুরুত্বপূর্ণ নির্ধারিত প্রজেক্ট সম্পূর্ণ করতে, তাতে যুক্ত থাকা গণিতের চেয়ে কাজ করবার যুক্তি বেশি প্রয়োজনীয়। এতে সৃজনী চিন্তা ভাবনা এবং বিস্তৃত চিন্তা ধারার প্রয়োজন, যাকে প্রায়শই ‘আউট অফ দ্য বক্স’ থিঙ্কিং বলা হয়।
কোর্সগুলি শ্রী সদগোপন রাজেশ দ্বারা পরিচালিত হবে, যিনি আর্যভট্ট ইনস্টিটিউট অফ ম্যাথেমাটিকাল সায়েন্সের ম্যাথমেটিক্স এজুকেটর এবং ফাউন্ডার ডিরেক্টর। তিনি বিগত ৩০ বছর ধরে স্কুল ও কলেজে, ১০ বছর বয়েস থেকে আরম্ভ করে বিভিন্ন স্তরের ছাত্রদের গণিতের শিক্ষা দিচ্ছেন, এবং তাদের নানাবিধ উদ্ভাবনী উপায়ে তৈরী কোর্সের মাধ্যমে উৎসাহিত করে চলেছেন। তিনি প্রাইমারি থেকে হাই স্কুল ছাত্রদের জন্য নারচার প্রোগ্রামও পরিচালিত করে চলেছেন, যা তাদের মধ্যে সমস্যার সমাধান করবার প্রতি ঝোঁক তৈরী করে তাদের ম্যাথেমাটিকাল এবং অন্যান্য অলিম্পিয়াডের দিকে এগিয়ে দেয়।
এই প্রচেষ্টা নিয়ে বলতে গিয়ে শ্রী সদগোপন রাজেশ বলেছেন, “যদি আমরা গণিতের প্রতি অনুশাসন এবং আবেগ রেখে চলি, যা কেবল আনুষ্ঠানিক ভাবেই নয় আর বিষয়টি আরও বেশি যুক্তি ও বিশ্লেষণাত্মক ভাবে উপলব্ধি করি , তাহলে আমরা আমাদের চিন্তাভাবনাকে প্রসারিত করতে পারব। এর গুরুত্বপূর্ণ পরিণাম হল সেই দক্ষতার বিকাশ যেগুলি একটি প্রযুক্তিগত ভাবে দ্রুত বদলাতে থাকা বিশ্বে মানিয়ে নেওয়া এবং তাতে অবদান করতে আবশ্যক”।
শ্রী সদগোপন রাজেশ স্থানীয়, রাষ্ট্রীয় এবং আন্তর্জাতিক স্তরে অনেকগুলি ম্যাথেমাটিকাল অলিম্পিয়াডের এক্সপোজার ক্যাম্পের রিসোর্স পার্সন থেকেছেন, এবং এছাড়াও অনেকগুলি টিচার ওরিয়েন্টেশন এবং এনরিচমেন্ট প্রোগ্রাম পরিচালিত করেছেন
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