खड़गपुर में तृणमूल का ‘राजनीतिक आतंक’? कॉमरेड अनिल दास पर दिनदहाड़े हमला, शहर में बढ़ा तनाव






खड़गपुर शहर की एक व्यस्त सड़क पर दिनदहाड़े हुई एक चौंकाने वाली घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। लंबे समय से खड़गपुर और पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले में सामाजिक और लोकतांत्रिक आंदोलनों की मुखर आवाज़ रहे कॉमरेड अनिल दास पर हमला किया गया।




इस हमले का आरोप सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता बेबी कोले और उनके समर्थकों पर लगा है।

घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा गया कि अनिल दास को कुछ लोगों की भीड़ ने घेर लिया। तभी बेबी कोले नाम की एक महिला उन्हें जोर से धक्का देती हैं, जिससे वह ज़मीन पर गिर जाते हैं और फिर उन पर कथित रूप से लात-घूंसे बरसाए जाते हैं।
पीड़ित अनिल दास ज़मीन पर पड़े-पड़े मदद के लिए पुकारते रहे, लेकिन वहां मौजूद लोग मूकदर्शक बने रहे।
🧾 राजनीतिक उद्देश्य और प्रतिक्रिया:
इस घटना ने खड़गपुर में सियासी सरगर्मी को बढ़ा दिया है।
स्थानीय राजनीतिक सूत्रों का मानना है कि अनिल दास सामाजिक मुद्दों पर सरकार और सत्तारूढ़ दल के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं, जिसके कारण वह पहले भी राजनीतिक निशाने पर रहे हैं।
वामपंथी दलों ने इस हमले को पूर्व नियोजित और राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है।
घटना के बाद #राजनीतिक_आतंकवाद, #विरोध_सभा, और #खड़गपुर_द_सिटी_ऑफ_जॉय_न्यूज_पेज जैसे हैशटैग्स पर सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो गया है।
🚨 पुलिस की कार्रवाई और सुरक्षा व्यवस्था
हमले के तुरंत बाद इलाके में तनाव फैल गया। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच शुरू हो चुकी है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
🔊 सामाजिक विरोध और जनसभा
वामपंथी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और खड़गपुर में एक विरोध सभा का आयोजन किया।
आंदोलनकारियों का कहना है, “अगर सरकार के खिलाफ बोलना अपराध है, तो यह लोकतंत्र नहीं तानाशाही है।”
सामान्य नागरिकों का भी एक वर्ग इस हमले को शर्मनाक और चिंताजनक मान रहा है।
✅ निष्कर्ष:
यह घटना एक बार फिर इस सच्चाई को सामने लाती है कि बंगाल में राजनीतिक असहिष्णुता किस स्तर तक बढ़ चुकी है। लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद स्वाभाविक है, लेकिन हिंसा और सार्वजनिक अपमान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं।
प्रशासन से मांग है कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
